कोरबा। छत्तीसगढ़ के दूरस्थ वनांचल में रहने वाली आदिवासी महिला को अंतरराष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार के लिए चुना गया है। निर्मला कुजूर गांधीवादी संगठन एकता परिषद से जुड़ी है।उन्हें डब्ल्यूडब्ल्यूएफएस नामक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। निर्मला ने खुशी का इजहार करते हुए बताया कि वह बीहड़ वनांचल में रहने वाले आदिवासियों के बीच काम करते उन्हें जागरूक कर रही हैं। बीते कई सालों से जल, जंगल और जमीन के लिए काम कर रहे संगठन एकता परिषद से जुड़ी निर्मला कुजूर संस्था के प्रमुख पी वी राजगोपाल को अपना प्रेरणाश्रोत मानती हैं। निर्मला ने पसान क्षेत्र के पंडरी पानी गांव में रहने वाले धनुहार आदिवासियों के बीच काम किया। वो बताती है कि गांव में दो दर्जन धनुहार आदिवासि रहते हैं जो एक ढोड़ी का पानी पीते थे। इसी ढोड़ी से जानवर भी पानी पीते थे। निर्मला ने इन्हें प्रेरित किया, फिर सभी ने मिलकर श्रमदान से एक कुआं खोदा। इसके अलावा निर्मला ने ग्रामीणों को वन अधिकार पट्टा दिलाने के लिए काफी प्रयास किया है।
ज्ञात रहे कि एकता परिषद ने विश्व शांति और न्याय के लिए पिछले वर्ष पी वी राजगोपाल के नेतृत्व में भारत से जिनेवा तक की यात्रा शुरू की थी। उनके दल में कोरबा जिले से निर्मला कुजूर और मुरली दास संत भी शामिल हुए थे। हालांकि कोरोना का विश्व भर में संक्रमण शुरू होने के चलते इस दल को आर्मेनिया देश में यात्रा स्थगित कर वापस लौटना पड़ा। निर्मला कहती है इस यात्रा से उसे कई देशों के लोगों से मिलने का और काफी कुछ सीखने का मौका मिला। निर्मला ने बताया कि ग्रामीणों को वन अधिकार अधिनियम के तहत काफी कम जमीन का पट्टा मिला है, जबकि वे ज्यादा पर काबिज हैं, अभी वो उन्हें पूरी जमीन का हक दिलाने की मुहिम चला रही है। 10 संघर्षशील महिलाओं को जेनेवा में डब्ल्यूडब्ल्यूएफएस नामक पुरस्कार दिया जा रहा है। उनमें एकता परिषद से जुड़ी मध्यप्रदेश की शबनम शाह और सरस्वती उइके भी शामिल हैं।