रायपुर। नेत्रदान को महादान कहते हैं। नेत्रदान करने के लिए अभियान चलाए जाते हैं। लोग नेत्रदान से डरते हैं। देहदान से डरते हैं। मगर हमारे शहर में रामकुंड के पाटस्कर परिवार के बुजुर्ग की अंतिम इच्छा थी कि वे अपनी देह के साथ नेत्र भी दान करें। लेकिन एम्स के कुछ निष्ठुर और संवेदनहीन लोगों की बदमिजाजी के कारण उनके अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो पाई और थक हारकर परिवार को उनका अंतिम संस्कार करना पड़ा।ये शर्मनाक घटना साफ बताती है कि एम्स के कुछ लोगो को छत्तीसगढ़ के लोगों की जरा भी परवाह नहीं है जिनके लिए एम्स बनाया गया है।